सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मेघालय उच्च न्यायालय के आदेश को अनावश्यक रूप से चुनौती देने के लिए केंद्र सरकार पर ₹5 लाख का जुर्माना लगाया। (भारत संघ और अन्य बनाम सुदीप्त लाहिड़ी)
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में कहा,
"भारत संघ के पास इस विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से उक्त आदेश को चुनौती देने का कोई अवसर या औचित्य नहीं था। वर्तमान याचिकाएं सरासर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं। याचिकाकर्ताओं को चेतावनी दी जाती है कि वे भविष्य में ऐसी तुच्छ याचिकाएं दायर न करें।"
₹5 लाख की राशि दो महीने के भीतर सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया गया था।
अदालत उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा था। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की इस दलील पर गौर करने के बाद मामले का निपटारा कर दिया था कि इसी तरह की याचिका को पहले उदाहरणों के अनुरूप खारिज कर दिया गया था।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी वकील गुरमीत सिंह मक्कड़, आर बाला, स्वाति घिल्डियाल, श्रद्धा देशमुख, बानी दीक्षित, अलका अग्रवाल, नचिकेता जोशी, पीवी योगेश्वरन और बेबी देवी बोनिया के साथ केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए।
प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता अविजीत रॉय उपस्थित हुए।
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Why the Supreme Court imposed ₹5 lakh costs on the Central government