आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारत के तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होंगे
तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जो क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे, इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को इस आशय की गजट अधिसूचना जारी की।
बीएनएस की धारा 106 की उपधारा (2), जो 'वाहन के तेज और लापरवाही से वाहन चलाने से किसी व्यक्ति की मौत' से संबंधित है, को फिलहाल रोक दिया गया है।
उक्त परंतुक ने देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों को आमंत्रित किया था।
ऐसा इसलिए था क्योंकि यह ऐसे अपराधों में शामिल लोगों के लिए अधिकतम जेल की सजा को दस साल तक बढ़ा देता है जो पुलिस या मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट करने के बजाय अपराध स्थल से भाग जाते हैं।
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को ओवरहाल करने के लिए तीन विधेयकों को दिसंबर 2023 में भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई थी।
तीनों विधेयकों को पहली बार 11 अगस्त, 2023 को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्षी विधेयक के रूप में पेश किया गया था, जिसके बाद इन्हें आगे की जांच के लिए बृजलाल की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति के पास भेजा गया था।
लोकसभा ने 20 दिसंबर को इसे पारित कर दिया था और 21 दिसंबर को राज्यसभा ने इसे पारित कर दिया था ।
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India's three new criminal laws replacing IPC, CrPC and Evidence Act to come into force from July 1