[ब्रेकिंग]: विधायक एएच विश्वनाथ नही बन सकते मंत्री, अयोग्यता वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक जारी है, कर्नाटक HC

पीठ ने यह भी कहा कि आर शंकर और एन नागराज के मामले कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि पहली नजर में यह साबित नही हुआ है कि वे अनुच्छेद 164 और 361 के अंतर्गत अयोग्य हो गये थे।
Karnataka Legislative Council, AH Vishwanath
Karnataka Legislative Council, AH Vishwanath

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि विधान परिषद के सदस्य एएच विश्वनाथ संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और 361 (बी) के तहत अयोग्य हैं और इसलिए उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया जा सकता।

हालांकि, पीठ ने यह भी कहा कि आर शंकर और एन नागराज के मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि पहली नजर में यह साबित नहीं हुआ कि वे अनुच्छेद 164 और 361 के अंतर्गत अयोग्य हो गये थे।

मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और न्यायमूर्ति विश्वजीत शेट्टी की पीठ ने विश्वनाथ के बारे में अपने आदेश में कहा,

‘‘अत: एएच विश्वनाथ की अयोग्यता कर्नाटक विधान सभा का कार्यकाल पूरा होने तक जारी रहेगी।’’

न्यायालय ने अपनी व्यवस्था में कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएच येद्दियुरप्पा को विश्वनाथ को मंत्री मनोनीत करने की राज्यपाल से सिफारिश करते समय उनकी अयोग्यता को ध्यान में रखना होगा।

पीठ ने कहा, इसी तरह, मुख्यमंत्री अगर सिफारिश करते हैं तो राज्यपाल विश्वनाथ की अयोग्यता के पहलू पर विचार करने के लिये बाध्य हैं।

दो अन्य प्रतिवादियों के मामले में न्यायालय ने कहा,

‘‘पहली नजर में भी यह साबित नहीं हुआ है कि आर शंकर और एन नागराज संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और 361 के अंतर्गत अयोग्य हो गये हैं। एन नागराज और आर शंकर के बारे में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है।’’

पीठ ने विधान सभा परिषद के सदस्य आर शंकर, एएच विश्वनाथ और एन नागराज को मंत्रिपरिष्द में शामिल किये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह अंतरिम आदेश दिया।

याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता हरीश एएस ने उच्च न्यायालय में आरोप लगाया था कि तीन विधायकों को सिर्फ मंत्रिपरिषद में शामिल करने के मकसद से विधान परिषद में लाया गया , हालांकि विश्वनाथ और नागराज अयोग्य घोषित किये जाने के बाद हुये उप चुनावों में हार गये थे।

याचिका में यह भी दलील दी गयी थी कि शंकर ने तो विधान सभा का चुनाव भी नही लड़ा था।

विधान परिषद के ये तीनों सदस्य 2019 में सदन से इस्तीफा देने वाले 17 विधायकों में शामिल थे जिनकी वजह राज्य में कांग्रेस-जनता दल(सेक्यूलर) की सरकार गिर गयी थी।

शंकर कर्नाटक प्रज्ञावंत जनता पार्टी) नागराज कांग्रेस और विश्वनाथ जनता दल(सेक्यूलर) के सदस्य थे।

विधान सभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित करने के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा था लेकिन उसने इन नेताओं को उप चुनाव लड़ने की अनुमति प्रदान की थी।

राज्य में हुये उप चुनाव में हालांकि भाजपा ने 15 में से 12 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी लेकिन भाजपा खेमे से विश्वनाथ और नागराज चुनाव हार गये थे।

इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि अयोग्य प्रत्याशियों का विधान परिषद के लिये निर्वाचन या मनोनयन पिछले दरवाजे से प्रवेश देने के समान है।

याचिकाकर्ता की दलील थी कि राज्य विधान परिषद के लिये इन तीनों का मनोनयन सिर्फ उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल करने की मंशा से ही किया गया था और ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 164 तथा 361बी के प्रावधान के विपरीत था।

न्यायालय में यह भी कहा गया कि याचिका समय पूर्व नहीं है। भूषण ने कहा, ‘‘हमने समाचार पत्र की खबरों पर विश्वास किया है जिनमें साफ साफ कहा है कि इन तीनों को मंत्रिपरिषद में नियुक्त किया जा रहा है। इसलिए इस मामले में निषेधात्मक याचिका दायर करना न्यायोचित है।’’

उन्होंने यह भी दलील दी,

"अगर कोई व्यक्ति दल बदल करता है तो वह दुबारा निर्वाचित होने तक सदन का सदस्य बनने का हक गंवा देता है। अगर वह उप चुनाव में हार जाता है तो इसका मतलब है कि जनता ने उसे दल बदल करने के कारण माफ नहीं किया है। उसका (इन प्रत्याशियों में) इनमें विश्वास नहीं है।’’

भूषण ने यह अनुच्छेद 361 और 164 की भावी व्याख्या करने का अनुरोध करते हुये कहा कि उन्हें उसी सदन के लिये निर्वाचित होना पड़ेगा।

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवाद्गी ने दलील दी कि यह याचिका समय पूर्व है क्योंकि अभी तक ऐसा कुछ हुआ नही है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल के प्रति इस तरह का कोई निषेधाज्ञा नही दी जा सकती।

दो प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक हरनहल्ली ने दलील दी कि राज्यपाल द्वारा ऐसे मामले में विचार करने से पहले ही इस तरह की याचिका दायर नहीं की जा सकती है।

प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता उदय होल्ला ने कहा कि 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित व्यक्ति के दुबारा निर्वाचन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

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[Breaking] MLC AH Vishwanath cannot become Minister, disqualification to continue till present Assembly term expires: Karnataka High Court

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