"घृणित": सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणविद् की भारत का राष्ट्रपति नियुक्त करने की याचिका खारिज की

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और हेमा कोहली की पीठ ने इसे अपमानजनक और अदालत प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए याचिका पर कड़ा रुख अपनाया और रजिस्ट्री को भविष्य में ऐसी याचिकाओ पर विचार नहीं करने का निर्देश दिया
Supreme Court of India
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वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पद से हटाने के बाद भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनकी नियुक्ति की मांग करने वाली याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक पर्यावरणविद् को फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने याचिका को अपमानजनक और अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए कड़ा रुख अपनाया।

पीठ ने पूछा, "ये किस तरह की आपत्तिजनक याचिकाएं हैं? यह (अनुच्छेद 32 के तहत) कैसे दायर किया गया है।"

इसने अदालत की रजिस्ट्री को भविष्य में ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं करने का भी निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उन्हें हाल के राष्ट्रपति चुनाव में लड़ने की अनुमति नहीं दी गई।

उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी बात सुनी जाएगी और वह दुनिया की भलाई के लिए काम करेंगे।

उन्होंने कहा, "कृपया मुझे दो मिनट के लिए सुनें। श्रीलंका का हालिया उदाहरण जहां नागरिकों ने राष्ट्रपति के घर में प्रवेश किया, रूस में क्या हो रहा है, मैं पूरी दुनिया के लिए काम करूंगा जहां चीजें गड़बड़ हैं। राष्ट्रपति की भूमिका को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है।"

कोर्ट ने कहा, "यदि आप एक पर्यावरणविद् हैं तो आप अपने विशेष ज्ञान के साथ भाषण दे सकते हैं, लेकिन यह नहीं।"

इसके बाद यह याचिका खारिज करने के लिए आगे बढ़ा।

अदालत ने आदेश दिया, "याचिका तुच्छ है और अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है, लगाए गए आरोपों को रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है और रजिस्ट्री से अनुरोध किया जाता है कि निकट भविष्य में ऐसी याचिकाओं पर विचार न करें।"

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"Scurrilous": Supreme Court junks plea by environmentalist to be appointed President of India

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